बाबा साहेब को अर्पित
विश्व गुरु की पवन धरा पर
भीम पुरूष ऐसा हुआ ॥
ज्ञान सुज्ञान का जो महाज्ञाता
भारतभूमि का रखवाला ॥
भयमुक्त था जिसका जीवन
बहुजन का जो मतवाला ॥
विधि-विधान का जो रचियता
समता जग मे लाने वाला ॥
पाखन्डो का घोर विरोधी
प्रकृति मे रमने वाला ॥
कोटि नमन उस महापुरूष को
बहुजन ह्र्दय बसने वाला ॥
महावीर "पंछी""
भयमुक्त था जिसका जीवन
बहुजन का जो मतवाला ॥
विधि-विधान का जो रचियता
समता जग मे लाने वाला ॥
पाखन्डो का घोर विरोधी
प्रकृति मे रमने वाला ॥
कोटि नमन उस महापुरूष को
बहुजन ह्र्दय बसने वाला ॥
महावीर "पंछी""