मानव बनाम दानव
नये युग का नया कदम है ;
मानवता मे बढ़ रहे ज़ख्म है ;
भारत मे आतंकी दानव
फँसा रहे भोले मानव को
वो धर्म को बाँट रहे है ;
बाँट कर वो नाच रहे है ;
होते है खुश करके कत्ल
कहते है धर्म है ;
परंतु ये नहीं जानते
मानव अभी सोये है ;
जब भंग होगी इनकी निंद्रा
तब बन जाएगे ये रुद्रा
तब क्या इनकी हालत होगी ;
ये स्वय सोच नहीं पाएगे ;
ऐसी मौत मरेंगे ये;
कुते भी पास नही आयेगें ;
मिटा कर इस दानवता को
प्रेम पंछी उड़ाएगे |
जय भारत जय सविंधान
'पंछी '